शहादत का सम्मान: झुंझुनूं में तैयार की जा रही हैं 1100 शहीदों की प्रतिमाएं
शहीद की शहादत को भुलाया नहीं जा सकता. राजस्थान में तो गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में लगी शहीदों की मूर्तियां इस बात की गवाह की यह शौर्य और पराक्रम की धरती है. शहीदों की शहादत को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए झुंझुनूं में शहीदों की प्रतिमाएं बनवाई जा रही है.
झुंझुनूं जिले के खुडानिया गांव में पिछले करीब एक साल से मूर्तिकार वीरेंद्र सिंह शेखावत शहीदों की पूरी बटालियन तैयार करने में जुटे हैं. इस बटालियन में सेना की विभिन्न यूनिट और बटालियनों के जवान एक साथ मौजूद हैं. फोटो : न्यूज 18 राजस्थान ।
इस बटालियन की पृष्ठभूमि में तिरंगा लहरा रहा है. अभी तक इस बटालियन में करीब 400 ज्यादा जवान और अधिकारी शामिल हो चुके हैं. यह आंकड़ा 1100 तक पहुंचने वाला है.
ये उन शहीदों की प्रतिमाएं हैं, जिन्होंने अपना सर्वस्व देश के लिए न्यौछावर कर दिया. प्रदेश की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रहे प्रेम सिंह बाजोर इन प्रतिमाओं को अपने खर्चे पर बनवा रहे हैं.
ये प्रतिमाएं इन शहीदों के गांवों में लगाई जा रही हैं. बाजोर ने प्रदेश के करीब 1100 शहीदों की प्रतिमाएं बनवाने का बीड़ा उठाया है. इस पर करीब 25 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. इसके बाद राजस्थान देश का ऐसा अकेला राज्य बन जाएगा, जहां के तमाम शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित होंगी. इस काम को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कराने की तैयारी भी की जा रही है.
बाजौर के इस फैसले के बाद 40 से 50 साल पहले शहीद हुए कई जवानों की मूर्तियां भी लग रही हैं. इससे उनके परिजन खुश हैं. हाल ही में ऐसे ही एक शहीद जोधपुर के पीपाड़ तहसील के खांगटा गांव के भीकाराम ताडा की मूर्ति लगाई गई है.
बाजौर ने खुडानिया निवासी वीरेंद्र सिंह शेखावत को शहीदों की प्रतिमाएं बनाने का काम सौंपा है. बकौल बाजोर शहीद सम्मान यात्रा के दौरान शहीदों के घरों तक पहुंचा तो कई जगह शहीदों की बूढ़ी मांओं ने कहा, 'म्हारै बेटे री मूरती तो लगवा दो बाजौर साब!'. बस उसी दिन फैसला कर लिया कि हर शहीद की प्रतिमा लगवाऊंगा. प्रतिमा बनाने में जुटे मूर्तिकार वीरेन्द्र सिंह शेखावत.
अभी जैसे-जैसे शहीदों की फोटो मिल रही है उसी हिसाब से उनकी मूर्तियां बनाने का काम चल रहा है. अभी तक 315 मूर्तियां बन चुकी है. चार शहीदों की मूर्तियां हाल ही में जोधपुर संभाग भिजवाई गई है.
प्रेम सिंह बाजौर ने 1 अप्रैल, 2017 में को झुंझुनूं के धनूरी गांव से शहीद सम्मान यात्रा शुरू की थी. धनूरी गांव से सर्वाधिक शहीद हैं. इस दौरान बाजौर ने देखा कि करगिल युद्ध के बाद के अधिकांश शहीदों की प्रतिमाएं लग चुकी हैं, लेकिन 1999 से पहले के प्रदेश के करीब 1100 शहीदों की प्रतिमाएं नहीं हैं. ऐसा इसलिए था क्योंकि पहले तो शहीदों की केवल ड्रेस आती थी. इस पर बाजौर ने तय किया कि वे ऐसे सभी शहीदों की प्रतिमाएं अपने खर्चे से बनवाएंगे.
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